सरकार द्वारा निष्ठापूर्वक ड्यूटी निभाने के निर्देश देने के बावजूद अनेक अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा ड्यूटी में लापरवाही बरतने, बिना छुट्टी लिए ड्यूटी से गैर हाजिर रहने, विदेशों में जाकर नौकरियां कर लेने और वहीं आबाद हो जाने तक की शिकायतें लगातार मिलती रहती हैं।
इसी को देखते हुए 2015 में पंजाब के तत्कालीन शिक्षा मंत्री डा. दलजीत सिंह चीमा ने विदेशों में नौकरी करने के मोह के कारण लम्बी छुट्टी लेकर या इसके बगैर भी देश से बाहर गए 1200 से अधिक सरकारी अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई करके अनेक अध्यापकों की सेवाएं समाप्त की थीं।
इसी प्रकार 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक साल में ही आयकर विभाग के 85 अधिकारियों को, जिनके विरुद्ध काम में लापरवाही बरतने और भ्रष्टाचार के मामले लंबित थे, जब्री रिटायर कर दिया था। अधिकारियों व कर्मचारियों में यह कुप्रवृत्ति जारी रहने के दृष्टिïगत अब कुछ सरकारी विभागों द्वारा लापरवाह कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई हो रही है जिसके मात्र दस दिनों के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :
* 22 मार्च को लम्बे समय तक ड्यूटी से गैर हाजिर चले आ रहे पटियाला पुलिस के 7 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के आदेश जारी कर दिए गए। इनमें ए.एस.आई. सतविंद्र सिंह, हैड कांस्टेबल चरणो देवी, कांस्टेबल गगनदीप सिंह, मङ्क्षनद्र सिंह, जतिंद्र पाल सिंह, गुरप्रीत कौर व संदीप कौर शामिल हैं। नौकरी से निकाले गए अधिकांश पुलिस कर्मचारी विदेशों में जा बसे हैं।
* 23 मार्च को अमृतसर (देहाती) के पुलिस अधीक्षक धु्रव दहिया ने नशे की लत के शिकार एक सिपाही सहित 6 पुलिस कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी सही ढंग से न निभाने के आरोप में नौकरी से बर्खास्त किया।
* 23 मार्च को ही हरियाणा के ‘खनन एवं भूगर्भ विभाग’ के महानिदेशक ए. श्रीनिवास ने विभाग के 2 स्पैशल खनन गार्डों मनोज तथा मनजीत को ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में नौकरी से बर्खास्त तथा एक ड्राइवर जितेंद्र कुमार एवं 2 अन्य खनन गार्डों प्रेमचंद और शैलेंद्र को उनके विरुद्ध पुलिस में केस दर्ज होने के दृष्टिगत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
* 23 मार्च को ही उत्तर प्रदेश में 3 आई.पी.एस. अधिकारियों को ड्यूटी में लापरवाही बरतने एवं अन्य आरोपों में समय से पूर्व रिटायर किया गया।
* 25 मार्च को पंजाब सरकार ने 5 पुलिस कर्मचारियों को कुछ नशा तस्करों के साथ सांठ-गांठ के आरोप में निलंबित किया।
* 25 मार्च को ही मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ‘जीवाजी विश्वविद्यालय’ के 5 कर्मचारियों को वहां के कम्प्यूटर पर ‘पोर्न’ देखने के आरोप में बर्खास्त किया गया। इनमें 2 महिलाएं भी शामिल हैं।
* 28 मार्च को पानीपत के पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार ने पानीपत सदर के एस.एच.ओ. को एक हत्याकांड के सिलसिले में ढिलाई बरतने के आरोप में निलंबित करने का आदेश जारी किया।
* 01 अप्रैल को पुलिस हवालात में 2 हवालातियों के बीच मारपीट का गंभीर संज्ञान लेते हुए पानीपत के पुलिस अधीक्षक ने एक ए.एस.आई. और एक कांस्टेबल को अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित करने का आदेश जारी किया।
हमारे देश में सामान्यत: सरकारी कर्मचारियों को कत्र्तव्य पालन में लापरवाही बरतने का दोषी पाए जाने पर निलंबित ही किया जाता है परंतु ज्यादातर मामलों में वे निलंबन रद्द करवा के बहाल हो जाने में सफल हो जाते हैं।
निलंबन के दौरान उन्हें आधा वेतन मिलता रहता है और बहाल हो जाने पर उन्हें निलंबन की अवधि का बकाया आधा वेतन भी मिल जाता है जिस कारण उन्हें दंडित करने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है और इसी बहाने वे छुट्टियां मना लेते हैं सो अलग।
लिहाजा लापरवाह कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई में तेजी लाई जाए तथा दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों की तत्काल जांच करके दोष सिद्ध होने पर उन्हें बर्खास्त ही किया जाना चाहिए। तभी दूसरों को नसीहत मिलेगी। सभी राज्यों में तथा सभी सरकारी विभागों में ऐसी कार्रवाइयां शुरू करने की जरूरत है। इससे सरकारी कामकाज सुधरने से देश तरक्की करेगा, कर्मचारियों में दंड और नौकरी से निकाले जाने के भय से उनके कामकाज में सुधार होने तथा भ्रष्टाचार समाप्त होने से लोगों को राहत मिलेगी।—विजय कुमार
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‘गैर हाजिर और लापरवाह कर्मियों के विरुद्ध’ ‘कार्रवाई में और तेजी लाई जाए’ (पंजाब केसरी)
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