Night Curfew: आखिर रात का कर्फ्यू कितना प्रभावी साबित हो रहा है? (दैनिक जागरण)

कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सावधानी बरतने की भी आवश्यकता नहीं है। रात के कर्फ्यू संबंधी फैसले इसी आवश्यकता को ही रेखांकित कर रहे हैं। हर वक्त यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मास्क से अच्छी तरह लैस रहना।


विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से रात के कर्फ्यू का सहारा लिया जाना यह बताता है कि उन्हें कोरोना संक्रमण की लहर थामने के अन्य कोई ठोस उपाय समझ नहीं आ रहे हैं। गत दिवस दिल्ली सरकार ने सप्ताहांत कर्फ्यू लगाने की घोषणा की तो उत्तर प्रदेश सरकार ने दो हजार से अधिक कोरोना मरीजों वाले जिलों में रात आठ से सुबह सात बजे तक कर्फ्यू लगाना तय किया। इसके पहले गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब आदि राज्य भी प्रमुख शहरों में रात का कर्फ्यू लगाने की घोषणा कर चुके हैं। गनीमत है कि राज्य लॉकडाउन का सहारा लेने से बच रहे हैं और यदि महाराष्ट्र की तरह ले भी रहे हैं तो पहले जैसी सख्ती नहीं दिखा रहे हैं। इस सबके बावजूद उन्हें इस पर विचार करना चाहिए कि आखिर रात का कर्फ्यू कितना प्रभावी साबित हो रहा है?


यह सवाल इसलिए, क्योंकि रात को तो वैसे भी सार्वजनिक स्थलों में चहल-पहल खत्म हो जाती है और ज्यादातर लोग या तो अपने घरों पर होते हैं या फिर घर पहुंच रहे होते हैं। यदि एक क्षण के लिए यह मान भी लिया जाए कि रात के कर्फ्यू के जरिये सार्वजनिक स्थलों में होने वाली भीड़-भाड़ को रोका जा सकेगा, तो भी सवाल यह उठेगा कि क्या इसकी जरूरत दिन में भी नहीं है? नि:संदेह इस सवाल का जवाब दिन का कफ्यरू नहीं हो सकता, क्योंकि ऐसा कोई कदम रोजी-रोजगार के लिए घातक साबित होगा और वैसी ही स्थिति पैदा करेगा, जैसी लॉकडाउन के समय देखने को मिली थी।


बेहतर होगा कि राज्य सरकारों की ओर से रात के कर्फ्यू जैसे जो कदम उठाए जा रहे हैं, उनके पीछे के कारणों को लोग सही तरह से समङों। ऐसे कदम यही संदेश देने के लिए उठाने पड़ रहे हैं कि कोरोना संक्रमण बेलगाम हो रहा है और लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर शारीरिक दूरी का पालन करने और यथासंभव भीड़-भाड़ से बचने की सख्त जरूरत है। लोगों को इस जरूरत की पूíत में सहायक बनना चाहिए और हर वक्त यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मास्क से अच्छी तरह लैस रहना कोरोना संक्रमण से बचाव का एक कारगर उपाय है।


जहां आम जनता के लिए यह आत्मसात करना आवश्यक है कि उसे शासन-प्रशासन को सहयोग करना चाहिए, वहीं राज्य सरकारों को भी यह समझने की जरूरत है कि सार्वजनिक स्थलों में ऐसे उपाय किए जाएं, जिससे दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी के नियम का पालन होते हुए दिखे। हालांकि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सावधानी बरतने की भी आवश्यकता नहीं है। रात के कर्फ्यू संबंधी फैसले इसी आवश्यकता को ही रेखांकित कर रहे हैं।

सौजन्य - दैनिक जागरण।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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