हद लाचारी की (जनसत्ता)

अस्पतालों को आॅक्सीजन नहीं मिल पाने का मसला गंभीर है। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट की सख्ती से भी हालात सुधरे नहीं हैं। रविवार को दिल्ली के बतरा अस्पताल में बारह कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई। गुड़गांव के एक अस्पताल में भी छह लोग आॅक्सीजन की कमी से मर गए। बात सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है। कर्नाटक के चामराजनगर के जिला अस्पताल में चौबीस लोगों के मरने की खबर है। इन मौतों का कारण भी आॅक्सीजन न होना बताया गया है। और ऐसी खबरें राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित दूसरे राज्यों से भी आ रही हैं। पर दिल्ली का मामला सुर्खियों में इसलिए है कि यह देश की राजधानी है।

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब यहां कोरोना मरीज सिर्फ इसलिए मर रहे हैं कि अस्पतालों में बिस्तर, आॅक्सीजन और दवाइयां नहीं हैं तो और जगह क्या हाल होगा! अब कोई संशय नहीं बचा कि सरकारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। ऊपर से हैरत यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को भी देश में पर्याप्त चिकित्सा आॅक्सीजन का दावा किया। पिछले एक हफ्ते में आॅक्सीजन उत्पादन में वृद्धि की बात कही। और फिर भी लोग आॅक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हों तो इसका दोषी किसे ठहराया जाए?

दिल्ली में पर्याप्त आॅक्सीजन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को पहले ही चेता चुका है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस मसले कड़ी टिपप्णियां की थीं। अदालत ने केंद्र को चेतावनी दी थी कि अगर समय पर आॅक्सीजन का बंदोबस्त नहीं किया तो उसे अवमानना का सामना करना पड़ेगा। लेकिन इससे ज्यादा हैरत की बात क्या होगी कि केंद्र ने अदालत से इस आदेश को वापस ले लेने को कहा। सरकार की दलील थी कि अवमानना से अधिकारियों का मनोबल गिरेगा। व्यवस्था को दुरुस्त करने से ज्यादा चिंता केंद्र सरकार को अपने अधिकारियों के मनोबल की सताने लगी है।

अपनी नाकामियों का इस तरह से बचाव करना सरकार के लिए शर्म की बात होनी चाहिए। सरकारों का ऐसा रवैया बताता है कि उनके लिए लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है। पिछले चार-पांच दिनों में सिर्फ इतनी ही प्रगति हुई है कि अदालतों की फटकार के बाद केंद्र ने आॅक्सीजन उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया। राज्यों से रेल टैंकरों के जरिए आॅक्सीजन अस्पतालों तक पहुंचाने की कवायद शुरू हुई। लेकिन यह सब तब देखने को मिला जब बड़ी अदालतों ने मोर्चा संभाला। अगर सरकारों में जरा भी जिम्मेदारी का भाव होता तो हालात बिगड़ने से पहले ही मोर्चा संभाल लेतीं और बड़ी संख्या में लोगों की जान सिर्फ इसलिए नहीं जाती कि आॅक्सीजन नहीं मिली।

अभी दिल्ली के अस्पतालों में आॅक्सीजन आपूर्ति सामान्य नहीं हो पाई है। इससे हालात किस तरह चरमरा गए हैं, यह खुल कर उजागर हो चुका है। आॅक्सीजन की कमी से अस्पतालों ने गंभीर मरीजों तक को भर्ती करना बंद कर दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर मरीज जाएंगे कहां। क्या सड़कों पर पड़े दम तोड़ते रहेंगे? संक्रमण फैलाव की रफ्तार को देख कर लगता नहीं कि इससे जल्दी छुटकारा मिल जाएगा। और अब तो विशेषज्ञ तीसरी लहर का बात भी कह रहे हैं। जाहिर है, आने वाले वक्त में आॅक्सीजन की भारी जरूरत पड़ेगी। संभवत इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आॅक्सीजन का अतिरिक्त भंडार भी तैयार रखने को कहा है। यह राज्यों को अब तक आबंटत कोटे के अलावा होगा। अगर अब भी सरकारें नहीं चेतीं तो महामारी से इतर संकट भी खड़े हो सकते हैं।

सौजन्य - जनसत्ता।
Share on Google Plus

About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment