हम होंगे कामयाब (नवभारत टाइम्स)

कोरोना की दूसरी लहर के बीच अमेरिकी मदद की पहली खेप शुक्रवार को दिल्ली पहुंच गई। भारत इन दिनों जिस तरह के हालात से जूझ रहा है, उसे देखते हुए दुनिया के तमाम देश मदद के लिए आगे आए हैं। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, साउथ कोरिया, सिंगापुर समेत 40 से अधिक देशों की ओर से सहायता सामग्री या तो देश में पहुंच चुकी है या पहुंचने की प्रक्रिया में है। अमेरिका ने जरूरी दवाएं, एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड की वैक्सीन यानी कोविशील्ड और इसे बनाने के लिए कच्चा माल भी भिजवाया है।


यों तो भारत की मदद का फैसला लेने में अमेरिकी प्रशासन की शुरुआती हिचक से कुछ सवाल खड़े होने लगे थे, लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सही समय पर सटीक फैसला करके उन्हें जड़ें जमाने का मौका नहीं दिया। जिन देशों ने भारत की ओर मदद का हाथ बढ़ाया है, उनसे सरकार ने मेडिकल ऑक्सिजन, रेमडेसेवियर जैसी दवाएं मांगी हैं ताकि कोविड से गंभीर रूप से बीमार लोगों का इलाज किया जा सके। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने बताया है कि इन देशों को हमने अपनी जरूरतें बता दी हैं। इस बारे में उच्चस्तर पर बातचीत चल रही है। महामारी से जंग में सरकारों के साथ कई देशों के आम लोग भी भारतीयों का हौसला बढ़ा रहे हैं।


वे इसके लिए सोशल मीडिया पर संदेश दे रहे हैं और अपनी सरकारों से हर संभव तरीके से भारत की मदद करने का आग्रह कर रहे हैं। भारत ने भी 'वैक्सीन मैत्री' के तहत नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, मॉरिशस जैसे देशों को न सिर्फ टीके की सप्लाई की बल्कि वह डब्ल्यूएचओ की कोवैक्स इनीशिएटिव में भी योगदान कर रहा है। कोवैक्स नाम की पहल खासतौर पर वैसे विकासशील और गरीब देशों को वैक्सीन दिलाने के लिए शुरू की गई है, जिनके पास अपना टीका नहीं है। इसलिए आज दुनिया भर से भारतीयों की मदद के लिए जो हाथ आगे बढ़ रहे हैं, उसमें कुछ भूमिका निश्चित रूप से भारत के उन कार्यों से बने सद्भाव की भी है।


इस मुश्किल घड़ी में जिस तरह से कई देश मदद के लिए आगे आए हैं, उससे पता चलता है कि दुनिया भले अलग-अलग देशों की सरहदों में बंटी हो, लेकिन इंसानियत का धागा सबको इतनी मजबूती से जोड़ता है कि किसी भी संकट की घड़ी में सारी सरहदें छोटी पड़ जाती हैं। इसके साथ ही हमें यह भी याद रखना होगा कि कोरोना एक वैश्विक महामारी है। जब तक दुनिया में कहीं भी इससे लोग पीड़ित रहेंगे, तब तक हम इसके खिलाफ जंग नहीं जीत पाएंगे। इसलिए हमें इससे मिलकर लड़ना होगा। तभी हम सदी में एक बार आने वाली ऐसी आपदा को हरा पाएंगे।


सौजन्य - नवभारत टाइम्स।

Share on Google Plus

About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment