महेश परिमल
इस कोरोना काल में देश-विदेश की तमाम आईटी कंपनियां पूरी तरह से बिखर गई हैं। उनके कर्मचारी अब घर पर ही रहकर काम कर रहे हैं। एक साथ काम करने पर ये लोग एक-दूसरे का हालचाल पूछ लेते थे, पर अब हालात बदल गए हैं। ऐसे में आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हो गई हैं। गूगल और इंफोसिस जैसी अनेक कंपनियों अपने कर्मचारियों को मेल किया है, जिसमें यह हिदायत दी है कि वे इस कोरोना काल में सोशल डिस्टेसिंग का विशेष ख्याल रखें। इन आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को लिखा है-आप हमारे ब्रेन हैं, अभी तक हमें जो भी कामयाबी मिली है, वह आपके कारण ही मिली है। इसलिए स्वयं को संभाल कर रखें। आपकी जो भी समस्याएं हों, हमें बताएं, हम उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे।
अपने कर्मचारियों को ब्रेन मानकर इन आईटी कंपनियों ने एक मिसाल पेश की है। इस कोरोना काल में जहां कई कंपनियों में ताले लग गए, कई कंपनियां टूटने के कगार पर हैं, ऐसे में ये बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों को रोके रखने के लिए कई तरह से जद्दोजहद कर रही हैं। इसमें से एक है, अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य के प्रति चिंता करना, जो स्वाभाविक है। यह इसलिए कि कई कंपनियों ने पिछले एक साल में अपने कई प्रतिभावान कर्मचारियों को खो दिया। यदि तब उनके स्वास्थ्य का खयाल रखा जाता, तो कई कर्मचारियों को बचाया जा सकता था। इसलिए अब ये कंपनियां कर्मचारियों के प्रति उदार हुई हैं। कंपनियों की यह सदाशयता उन्हें दूसरी कंपनियों में जाने से रोक रही हैं। यह एक अच्छी पहल है।
एक आईटी कंपनी ने अपने स्टॉफ का हेल्थ चार्ट बनाकर उसके लिए जरूरी सभी लेबोरेटरी टेस्ट कंपनी के खर्चे से कराए। इस हेल्थ चार्ट के अनुसार यह तय किया गया है किस कर्मचारी को उनकी डायट के अनुसार कितना काम करना चाहिए और कितना आराम। मुंबई की एक कंपनी ने अपने स्टॉफ से कहा है कि यदि उन्हें कोरोना का जरा भी असर दिखाई देता है, तो हमें बताएं, हम आपके पास डॉक्टर्स भेजेंगे। आवश्यकता पड़ी, तो अस्पताल में भर्ती भी करेंगे। एक अन्य कंपनी ने वीडियो मैसेज कर स्टॉफ से कहा है कि इस समय आप घर से बाहर न निकलें।
आवश्यकता पड़ने पर हमसे अवश्य संपर्क करें। एक कंपनी की यह दलील थी कि इस समय आईटी कंपनियों में खींचतान का माहौल है, इसलिए वर्क फ्रॉम होम के दौरान सभी कंपनियां चाहती हैं कि उनका स्टॉफ किसी दूसरी कंपनी की ओर आकर्षित न हो। इसलिए ये कंपनियां अपने स्टॉफ से लगातार संपर्क बनाकर रख रही हैं। अपने कर्मचारियों को केवल कर्मचारी न मानकर उन्हें अपना मस्तिष्क मानना, यह बड़ी बात है। बंगलूरु की आईटी कंपनियां वर्क फ्रॉम होम करने वाले अपने कर्मचारियों से रोज एक बार जूम पर मीटिंग करती हैं।
कोरोना काल के इस भीषण संकट में आईटी कंपनियों ने घर से काम करने वालों के स्वास्थ्य की चिंता करने लगी है, इससे कर्मचारी उत्साहित हैं। उन्हें लगने लगा है कि ऑफिस से दूर रहकर काम करने से उन्हें यह लग रहा था कि कंपनी उनका खयाल नहीं रखती, पर कंपनी ने उनके स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की। यही नहीं, जब कंपनी ने अपने स्टॉफ को अपना ब्रेन बताया, तो सभी को उस पर गर्व हुआ। वास्तव में यह विचार सबसे पहले अमेरिका में आया। अमेजॉन और वॉलमार्ट, दोनों कंपनियों ने इस कोरोना काल में इसी तरह अपने स्टॉफ से संपर्क किया। साथ ही उनकी हर तरह से सहायता के लिए तत्पर रही।
दूसरी ओर ऐसी भी कंपनियां हैं, जिन्होंने इस भीषण दौर में अपने कर्मचारियों को काम से निकाल दिया। इन हालात में कोई दूसरी कंपनी काम देने से रही। ऐसे में कर्मचारी पर मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ता है। इसमें से कुछ ने खुदकुशी कर ली, कुछ को कोरोना ने निगल लिया। यही लोग हैं, जिन्होंने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण वर्ष कंपनी को दिए, पर कंपनी ने उन्हें काम से निकालने में जरा भी देर नहीं की। ऐसे में उस कंपनी को ईमानदार स्टॉफ कैसे मिलेगा, यह सोचा है कंपनी के कर्णाधारों ने।
सौजन्य - अमर उजाला।
0 comments:
Post a Comment