वर्ष 2021-22 की अप्रैल-जून तिमाही के कॉर्पोरेट नतीजों को पिछले वर्ष की समान अवधि के कम आधार प्रभाव का लाभ मिला। ऐसे भी संकेत हैं कि वैश्विक स्तर पर औद्योगिक धातुओं में सुधार और तेजी ने भी इन्हें बेहतर बनाने में मदद की है। परंतु ऋण सुधार और खपत भी एकदम स्थिर है। 894 सूचीबद्ध कंपनियों ने सालाना आधार पर 38 फीसदी की वृद्धि हासिल की और इसका आंकड़ा 17 लाख करोड़ रुपये रहा। परिचालन मुनाफा 23.6 फीसदी बढ़कर 5.04 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि कर पश्चात लाभ 166.5 फीसदी बढ़कर 1.53 लाख करोड़ रुपये हो गया। अप्रत्याशित वस्तुओं के समायोजन के बाद मुनाफा 120 फीसदी बढ़ा। वित्तीय लागत में 10 फीसदी की कमी आई है। कॉर्पोरेट कर संग्रह 56.7 फीसदी बढ़ा और कर्मचारियों से संबंधित खर्चे 15 फीसदी बढ़े जबकि बिजली/ईंधन की लागत 48 फीसदी बढ़ी।
बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और रिफाइनरी जैसे अस्थिर क्षेत्रों को निकाल दिया जाए तो शेष 775 कंपनियों की परिचालन आय में 49 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। इनका परिचालन मुनाफा 88 फीसदी और अप्रत्याशित वस्तुओं के समायोजन के बाद होने वाला लाभ 292 फीसदी बढ़ा। रिफाइनरों और तेल विपणन कंपनियों के रिफाइनिंग मार्जिन में कमी आई क्योंकि कच्चे तेल के दाम बढ़े हैं। नमूने में शामिल 31 बैंकों की परिचालन आय 2.7 फीसदी कम हुई जबकि कर पश्चात लाभ 39 फीसदी बढ़ा है। ऐसा इसलिए हुआ कि ब्याज लागत 10 फीसदी कम हुई और शुल्क आधारित आय में 24 फीसदी बढ़ोतरी हुई। कृषि अर्थव्यवस्था जो एक वर्ष पहले बहुत अच्छी स्थिति में थी, वह स्थिर है लेकिन शक्कर में चक्रीय गिरावट आ सकती है। कृषि-रसायनों, उर्वरकों और ट्रैक्टरों में वृद्धि हल्की हुई है। दैनिक उपयोग वाली उपभोक्ता वस्तुओं का मुनाफा जो अद्र्ध शहरी खपत पर निर्भर करता है, वह भी राजस्व वृद्धि में 17 फीसदी और कर पश्चात लाभ में 8 फीसदी वृद्धि के साथ स्थिर है।
वाहन और वाहन कलपुर्जा उद्योग की स्थिति सबसे खराब रही। वाहन कलपुर्जा क्षेत्र में समीक्षाधीन 35 कंपनियों के राजस्व में 140 फीसदी इजाफा हुआ जबकि समेकित कर पश्चात लाभ 522 करोड़ रुपये रहा जबकि सालाना आधार पर उसे 804 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। सात में से छह बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों ने 129 फीसदी राजस्व विस्तार हासिल किया जबकि कर पश्चात लाभ 2,203 करोड़ रुपये रहा। इन्हें सालाना आधार पर 108 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सातवीं कंपनी टाटा मोटर्स को 4,451 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। कास्टिंग और फोर्जिंग क्षेत्र के राजस्व में 188 फीसदी का विस्तार हुआ और यह क्षेत्र घाटे से मुनाफे में आ गया। पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में भी बदलाव आया और इसका राजस्व 51 फीसदी बढ़ा। औद्योगिक रसायन उद्योग का प्रदर्शन भी ऐसा ही रहा। कागज, पैकेजिंग और पेंट उद्योग सभी को आधार प्रभाव का लाभ मिला। सीमेंट, निर्माण, अधोसंरचना और लॉजिस्टिक्स का राजस्व बढ़ा और बेहतर मुनाफे के साथ अनुमान भी बेहतर हुआ।
निर्यात आधारित क्षेत्रों मसलन आईटी और औषधि क्षेत्र का प्रदर्शन ठीक रहा। आईटी उद्योग के कर पश्चात लाभ में 27 फीसदी सुधार हुआ और उसका राजस्व 18 फीसदी बढ़ा। औषधि क्षेत्र के कर पश्चात लाभ में 48 फीसदी इजाफा हुआ और राजस्व 19 फीसदी बढ़ा। वस्त्र क्षेत्र का राजस्व 134 फीसदी बढ़ा और वह घाटे से मुनाफे में आ गया। धातु और खनिज क्षेत्र में तेजी की खबरें हैं। 35 स्टील कंपनियों का समेकित मुनाफा 11,604 करोड़ रुपये रहा जबकि सालाना आधार पर यह घाटे में था। इनका राजस्व 131 फीसदी बढ़ा। गैर लौह धातुओं का राजस्व 65 फीसदी जबकि कर पश्चात लाभ 680 फीसदी बढ़ा। खनन कंपनियों के राजस्व में 80 फीसदी इजाफा हुआ जबकि कर पश्चात लाभ 325 फीसदी बढ़ा। एक वर्ष पहले के लॉकडाउन के आधार प्रभाव को देखें तो यह प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं है और दूसरी लहर का असर नकारात्मक रहा। यदि एक और लहर आई तो कमजोरी बढ़ेगी।
सौजन्य - बिजनेस स्टैंडर्ड।
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