राम यादव
वन यदि मनुष्य होता, तो वह कहता कि मेरा भाग्य फूट गया था। पिछले 29 नवंबर तक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के मर्गाजार चिड़ियाघर में मैं अपने भाग्य को कोस रहा था। तब मैं नितांत अकेला था। लोहे की बेड़ियों से मैं बंधा रहता था और चारे-पानी और देखभाल के अभाव में अधमरा हुआ जा रहा था। लेकिन अब मैं कंबोडिया में हूं। मेरा भाग्य अब बदल जाएगा। विगत 30 नवंबर को कावन विमान से कंबोडिया पहुंचा।
उसके उद्धार के लिए यूरोप में ऑस्ट्रिया की राजधानी वियेना की अंतरराष्ट्रीय पशुरक्षक संस्था फीयर फॉटन, फोर पॉज (चार पंजे) और अमेरिकी पॉप गायिका चेर ने वर्ष 2016 से एक अंतरराष्ट्रीय अभियान छेड़ रखा था। इसके तहत चार लाख हस्ताक्षर जमा किए गए थे। इन्होंने पाकिस्तान में मुकदमा लड़ा था और उसमें जीत हासिल की थी। इस्लामाबाद की ही एक अदालत ने विगत मई में कावन की चिड़ियाघर से रिहाई का और उसे किसी 'समुचित स्थान पर' रखने का आदेश दिया था।
उस कानूनी विजय के बाद फीयर फॉटन (चार पंजे) की एक टीम ने कावन को उसकी भावी विमान-यात्रा के लिए तैयार करना शुरू किया। फीयर फॉटन के ऑस्ट्रियाई पशु चिकित्सक आमिर खलील ने पाया कि वर्ष 2012 में सहेली नाम की अपने साथ की हथिनी की मृत्यु और उसके बाद चिड़ियाघर के कर्मचारियों के उपेक्षापूर्ण लंबे दुर्व्यवहार के कारण कावन का मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। नतीजतन वह बहुत गुस्सैल और आक्रामक बन गया था। उसे निश्चेतक का इंजेक्शन देकर लंबे समय तक बेहोश नहीं रखा जा सकता था। अतः यात्रा की तैयार मुख्य रूप से कावन का वजन घटाने और उसे यात्रा के समय शांत बने रहने का मानसिक प्रशिक्षण देने पर लक्षित रही, ताकि वह विमान में ऐसा कुछ न करे, जिससे विमान का संतुलन ही बिगड़ने लगे। आमिर खलील का दावा है कि वह कावन को हमेशा अमेरिकी गायक फ्रैंक सिनात्रा के सबसे हिट गाने सुनाया करता था। इससे कावन काफी शांतचित्त हो गया और उसके व्यवहार में भी संतुलन आने लगा।
कावन को विमान में स्थिर रखने के लिए जर्मनी से गए हाथियों के एक परिवहन विशेषज्ञ ने पिंजरेनुमा एक विशेष प्रकार का कंटेनर बनाया। उसे इस कंटेनर में सारे समय खड़े रहना था। कंटेनर को एक क्रेन द्वारा एक परिवहन विमान में चढ़ाया गया। किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए विमान में कई पशु चिकित्सक भी मौजूद थे। पॉप गायिका चेर 29 नवंबर को इस्लामाबाद से कावन की विदाई के समय, और फिर 30 नवंबर को कंबोडिया के सीएम रेआप हवाई अड्डे पर अगवानी के समय स्वयं उपस्थित थीं। कावन के ढाई लाख डॉलर से भी महंगी हवाई यात्रा का आधा खर्च चेर ने ही उठाया। बाकी खर्च ऑस्ट्रिया की पशु संरक्षक संस्था फीयर फॉटन उठा रहा है। वर्ष 1988 में वियेना में स्थापित यह परोपकारी संस्था पूरी दुनिया में ऐसे पशुओं की जीवन रक्षा का काम करती है, जिनका जीवन मनुष्य या उनकी गतिविधियों के कारण सीधे तौर पर संकट में पड़ गया हो। ऑस्ट्रिया के अतिरिक्त जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और वियतनाम जैसे विश्व के 14 अन्य देशों में भी उसके कार्यालय हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के किसी भी देश में उसका कार्यालय नहीं है। यह संस्था आवारा कुत्तों, बिल्लियों, बंदर, भालू और हाथी जैसे पशुओं की जीवन रक्षा के लिए चेतना जगाने के अभियान भी चलाती है।
ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड जैसे यूरोप के कई देशों के रेडियो, टेलीविजन और अखबारों में कावन हाथी की अनोखी कहानी एक बहुचर्चित घटना बन गई। कहा यह गया कि वह अब तक संसार का सबसे दुखी हाथी था। लेकिन अब वह संसार का सबसे प्रसिद्ध हाथी बन गया है। भाग्यहीन से भाग्यशाली बन गए कावन हाथी को भारत के पड़ोसी श्रीलंका की सरकार ने वर्ष 1985 में पाकिस्तान के उस समय के राष्ट्रपति और तानाशाह जनरल जिया उल-हक को भेंट के रूप में दिया था। उस समय कावन मात्र एक वर्ष का था। लेकिन उसकी कभी ठीक से देखभाल ही नहीं हुई। वह उस समय भी इस्लामाबाद के चिड़ियाघर में लंबे समय तक उपेक्षित और अकेला ही रहा। तब भी पाकिस्तानी अधिकारी उसे कहीं और ले जाने की अनुमति नहीं दे रहे थे। फीयर फॉटन संस्था और गायिका चेर को यह अनुमति आखिरकार मुकदमा लड़कर लेनी पड़ी। कावन को अब उत्तरी कंबोडिया के एक अभयारण्य में रहने के लिए तैयार किया जाएगा। इस तैयारी के अंतर्गत पहले उसे तीन हथिनियों के साथ 3,000 वर्गमीटर बड़ी एक बाड़ में रखा जाएगा। उसके साथ रहने वाली इन हथिनियों के नाम हैं, दीपलोह, अरुण रेआ और सराई मिया। गायिका चेर कावन के साथ उस समय भी बनी रहेंगी, जब बाद में कभी उसे उत्तरी कंबोडिया के अभयारण्य में छोड़ा जाएगा।
सौजन्य - अमर उजाला।
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