ब्रेट स्टीफेंस
जब यह शुरू हुआ, तो इसे समझना मुश्किल नहीं था कि इसका अंत ठीक इसी तरह होगा। डोनाल्ड ट्रंप जानबूझ कर आग लगाने वाले व्यक्ति हैं, जिन्होंने अमेरिका के सांविधानिक गणतंत्र में आग लगा दी है। एक बार जो बाइडन के चुनाव को प्रमाणित करने के बाद हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और सीनेट का कर्तव्य है कि जितनी जल्दी संभव हो सके राष्ट्रपति ट्रंप को महाभियोग लगाकर पद से हटाए और उन्हें फिर से पद धारण करने से रोके। ट्रंप को अपना कार्यकाल पूरा करने की अनुमति देना (हालांकि यह संक्षिप्त हो सकता है) राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में डालना है। एक लोकतंत्र के रूप में यह हमारी प्रतिष्ठा का हनन करता है और एक अकाट्य सत्य से बचना है कि कांग्रेस (अमेरिकी संसद) पर हमला हिंसक देशद्रोह का प्रयास था, जिसे एक कानून की अवमानना करने वाले अनैतिक और भयानक राष्ट्रपति का सहयोग प्राप्त था।
वर्ष 2015 में जिस समय से ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के अग्रणी उम्मीदवार बने, तभी से यह स्पष्ट था कि वह कौन हैं और अगर उन्हें मौका मिला, तो वह अमेरिका को कहां ले जाएंगे। वह एक घातक आत्मप्रशंसक व्यक्ति थे। वह व्यवसाय में धोखेबाज, रिश्ते में धमकाने वाले और राजनीति में दुर्जनों के नेता हैं। उनके पास विचार नहीं थे, उनके पास कट्टरता थी। उनमें गठबंधन की भावना नहीं थी, उनके पास भीड़ थी। उनके पास चरित्र नहीं था। उनके पास बेशर्म आत्मविश्वास था, जिसके कारण उन्होंने अपने अनुयायियों को भी बेशर्म होने की अनुमति दी। यह सब कुछ स्पष्ट था, लेकिन उन्हें रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था। 2015 में अमेरिका में कई समस्याएं थीं, जिनमें से कई की बहुत लंबे समय से अनदेखी की जा रही थी और जिसका लोकलुभावन नारों से दोहन किया जा सकता था। लेकिन उस वर्ष की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि एक प्रमुख पार्टी ने एक ठग के सामने हथियार डाल दिया। और उसके बाद के हर वर्ष की सबसे बड़ी समस्या यह रही कि उस पार्टी ने ज्यादा से ज्यादा बहाने बनाए, राष्ट्रपति की गड़बड़ियों को नजरंदाज किया, उन्हें माफ किया, मिलीभगत की और अपनी ठगी का जश्न मनाया।
अमेरिका के चापलूस विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के बारे में सोचिए, जिन्होंने मार्च, 2016 में चेतावनी दी थी कि ट्रंप निरंकुश राष्ट्रपति होंगे, जिन्होंने हमारे संविधान की अनदेखी की और नवंबर में चुनाव के बाद जिन्होंने दूसरे ट्रंप प्रशासन की निर्विघ्न शुरुआत का वादा किया था। रिपब्लिकन पार्टी अब नैतिक दुर्दशा के कगार पर है। मैं यह किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में कह रहा हूं, जिसने 2016 तक हमेशा रिपब्लिकन पार्टी को वोट दिया और जिसे इस हफ्ते तक उम्मीद थी कि केंद्र में बाइडन प्रशासन को झुकाने के लिए सीनेट में रिपबल्किन का वर्चस्व रहेगा। मैं इसे ऐसे लोगों की पार्टी भी कहता हूं, जिन्होंने सामान्य तौर पर पिछले पांच वर्षों में अपने सिद्धांतों को संरक्षित रखा, अपना सम्मान बनाए रखा और शांत बने रहे, न कि ब्रैड रैफन्सपर्गर, मिट रोमनी, डेनवर रिगलमैन, लैरी होगन, बेन सैस (निराशाजनक रूप से यह सूची छोटी है) जैसे साहसी रिपब्लिकन की पार्टी।
लेकिन पार्टी के प्रमुख सदस्य और दक्षिणपंथी मीडिया में उनके चीयर्सलीडर वैसा माहौल बनाने से उस हद तक दूर नहीं थे, जिसमें संसद भवन (कैपिटल) में हिंसक घटनाएं हुईं। रूडी गियुलियानी से लेकर मार्क लेविन जैसे कानूनी सलाहकारों ने चुनावी धांधली के बारे में जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण दावों को बढ़ावा दिया है। ये सभी कथित शांत चित्त कंजर्वेटिव गलत कार्यों में संलिप्त थे, जिन्होंने राष्ट्रपति को अपने कानूनी विकल्पों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। (हालांकि वे अच्छी तरह से जानते थे कि यह बकवास है, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि वे वोट की वैधता के बारे में संदेहों का समाधान करेंगे।) टेक्सास के चुनाव को पलटने के लिए दायर मुकदमे के समर्थन में 126 रिपब्लिकन सांसदों ने निरर्थक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने एक ही पैराग्राफ में खारिज कर दिया। टेड क्रूज, जिन्हें मैंने कभी वैसलिन में लिपटा सांप कहा था, वह उससे भी बुरे निकले।
माइक पेंस ने सांविधानिक सत्य के सामने आने तक ट्रंप की कोरी कल्पनाओं का साथ दिया। इनमें से कुछ पाखंडी अब सावधानीपूर्वक ट्वीट करके बुधवार की हिंसा से खुद को अलग बता रहे हैं। लेकिन क्रूज, हॉले, पेंस और निराशाजनक आचरण करने वाले अन्य लोगों ने भीड़ की तुलना में कांग्रेस को कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। टूटे दरवाजे ठीक किए जा सकते हैं, टूटी पार्टियां नहीं। इन सबसे ऊपर राष्ट्रपति हैं, जो बेशक इसमें शामिल नहीं थे, लेकिन वह पूरी तरह से, निर्विवाद और अक्षम्य रूप से इसके लिए जिम्मेदार हैं। पांच वर्षों तक रिपब्लिकन ने उन्हें अपने व्यवहार से राजनीतिक संस्कृति का स्तर गिराने दिया। पांच वर्षों तक उन्होंने उन्हें लोकतांत्रिक मानदंडों और संस्थानों के खिलाफ युद्ध करने दिया। पांच वर्षों तक उन्होंने उनके निर्बाध झूठ को उनकी चारित्रिक विशेषता बताया, न कि पद के लिए उनकी अयोग्यता। पांच वर्षों तक उन लोगों ने उनकी रैलियों को लोकतंत्र के कार्निवाल की तरह देखा, न कि भीड़तंत्र के शासन के प्रशिक्षण के रूप में। पांच वर्षों तक उन्हें लगा कि यह सब सामान्य बात है। लेकिन बुधवार को उनके बुरे कर्मों का बुरा नतीजा सामने आ गया।
प्रत्येक सभ्य समाज अपने अस्तित्व के लिए आहत होने की अपनी क्षमता पर निर्भर होता है और वास्तव में चौंकाने वाला व्यवहार करके स्तब्ध रह जाता है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति के अपने पूरे कार्यकाल में इस विचार की हत्या की है। अब इसके लिए केवल एक ही नुस्खा है। राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाकर उन्हें पद से हटाया जाए। उन्हें अब हमेशा के लिए राष्ट्रपति बनने से प्रतिबंधित कर दिया जाए। हर अमेरिकी को यह पता होना चाहिए कि ट्रंप के युग में कुछ ऐसी चीजें हुई हैं, जिन्हें टिके रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती, खुद ट्रंप को भी।
सौजन्य - अमर उजाला।
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