संपादकीय: फिर फैलाव (जनसत्ता)

कई देशों ने इसके टीकों को मंजूरी दे दी, लाखों लोगों को टीके लगाए भी जा चुके, उम्मीद बनी थी कि अब जल्दी ही इस विषाणु का खात्मा हो जाएगा, कि तभी यह अपना रूप बदल कर उभर आया। पहले से कुछ अधिक ताकतवर रूप में। कोरोना का नया स्ट्रेन यानी बदला रूप नए सिरे से भय पैदा करने लगा है। इस बार ब्रिटेन से इसने सिर उठाना शुरू किया और दुनिया के अनेक देशों में पहुंच गया है। भारत में भी इससे संक्रमितों की संख्या हर दिन कुछ बढ़ी दर्ज हो रही है।

अब तक ब्रिटेन से भारत आए इकहत्तर लोगों में इस विषाणु की शिनाख्त हो चुकी है। पिछले कुछ महीनों में वहां से हजारों लोग यहां पहुंचे हैं, उन सबकी पहचान और जांच अभी तक नहीं हो पाई है। जैसे-जैसे जांच हो रही है, मामले कुछ बढ़े हुए दर्ज हो रहे हैं।

चिंता की बात है कि ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी जैसे देशों में, जहां इसका टीकाकरण शुरू हो चुका है, कोरोना संक्रमितों की संख्या फिर बहुत तेजी से बढ़ रही है। ब्रिटेन में अब तक का सारा रिकार्ड टूट चुका है, एक दिन में साठ हजार से ऊपर लोग संक्रमित पाए गए हैं। इन देशों में नए सिरे से बंदी का फैसला किया गया है।

गनीमत है कि भारत में विषाणु का बदला रूप पहुंच जरूर गया है, पर संक्रमण की दर निरंतर नीचे का रुख बनाए हुए है। इसके दो टीकों को मंजूरी मिल चुकी है और उन्हें लगाने का इंतजाम भी किया जा चुका है। स्वाभाविक ही इससे लोगों में भरोसा पैदा हुआ है कि इस समस्या से पार पाना जल्दी ही संभव हो सकेगा। तुलनात्मक रूप से देखें तो आबादी के हिसाब से भारत में संक्रमण और उससे होने वाली मौतें भारत में दूसरे देशों की अपेक्षा काफी कम हुई हैं।

इसके पीछे एक वजह यहां के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता को भी माना जा रहा है। मगर इसे लेकर अभी निश्चिंत होने का वक्त नहीं आया है। सावधानी की दरकार बनी हुई है। विषाणुओं की प्रकृति होती है कि वे वातावरण और स्थितियों के अनुसार अपनी प्रकृति में बदलाव कर लेते हैं। कोरोना का बदला स्वरूप भी उसी का नतीजा है। फिर यह भी तथ्य है कि जब कोई विषाणु अपना स्वरूप बदलता है, तो पहले से ताकतवर रूप में उपस्थित होता है। यही कोरोना विषाणु के साथ हुआ है।

इस विषाणु के नए रूप को लेकर पहले तो चिकित्सा विज्ञानी आश्वस्त करते रहे कि इसके लक्षण भी चूंकि कोरोना के ही हैं, इसलिए इससे पार पाना मुश्किल नहीं है। मगर इसके संक्रमण की रफ्तार सत्तर फीसद अधिक होने की वजह से यह कुछ अधिक तेजी से हमला कर रहा है। यहां तक कि बच्चे भी इसकी परिधि में महफूज नहीं माने जा रहे।

अभी तक चिकित्सा विज्ञानी एकमत नहीं हो पाए हैं कि कोरोना के मौजूदा टीकों का इस नए विषाणु पर कितना कारगर असर हो पाएगा। इसलिए सावधानी और कोरोना नियमों का कड़ाई से पालन ही फिलहाल एकमात्र कारगर उपाय है। बंदी खुलने के बाद जिस तरह लोगों ने मनमानी शुरू कर दी थी, उस पर रोक लगानी पड़ेगी। साफ-सफाई, उचित दूरी बनाए रखने और बाहर निकलते समय नाक-मुंह ढंकने की अपेक्षा अभी खत्म नहीं हुई है।

सौजन्य - जनसत्ता।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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