उच्च दाब वाली वृद्धि का दांव और हासिल (बिजनेस स्टैंडर्ड)

आकाश प्रकाश 

अमेरिका ने हाल ही में 1.9 लाख करोड़ डॉलर की अतिरिक्त राशि का राजकोषीय प्रोत्साहन पारित किया है। इस प्रकार महामारी से निपटने के लिए उसका कुल पैकेज 5 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गया। उसकी योजना हरित ऊर्जा, बुनियादी ढांचा और शिक्षा को लेकर एक और पैकेज घोषित करने की है।

बाइडन प्रशासन ने उन चेतावनियों को दरकिनार कर दिया है जिनमें कहा गया है कि प्रोत्साहन से मुद्रास्फीति बढ़ेगी। उसे सन 2022 के मध्यावधि चुनाव से पहले अमेरिका में रोजगार की स्थिति पहले जैसी करनी है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी वह हरसंभव प्रयास करेगा। एक अन्य डेमोक्रेट राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा की गलतियों से सबक लेते हुए वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि कार्यकाल के शुरुआती दौर में कोई नाकामी हाथ न लगे। ओबामा के कार्यकाल के आरंभ में यानी 2010 के मध्यावधि चुनाव में डेमोक्रेट का सफाया हो गया था।


बाइडन प्रशासन अर्थव्यवस्था को उच्च दबाव वाली स्थिति में वापस ले जाना चाहता है जहां वृद्धि रुझान से ऊपर रहती है और बेरोजगारी सामान्य से नीचे। महामारी के पहले अमेरिकी अर्थव्यवस्था उसी स्थिति में थी। वहां बेरोजगारी 3.5 फीसदी थी। उच्च दाब वाली अर्थव्यवस्था के हिमायती कहते हैं कि यह सबसे बेहतर सामाजिक कार्यक्रम है। बेरोजगारी में कमी होने पर नियोक्ता नए श्रमिकों को लाने और वेतन-भत्ते बढ़ाने पर मजबूर हो जाते हैं। ऐसा करके ही अल्पसंख्यकों, कम वेतन वालों और महिलाओं की आय की संभावना में सुधार होगा। महामारी के पहले 3.5 फीसदी बेरोजगारी दर के साथ कम आय वालों के वेतन-भत्ते सामान्य वेतन वृद्धि की तुलना में तेज गति से बढ़ रहे थे और श्रम शक्ति में भागीदारी बढ़ रही थी। मजबूत अर्थव्यवस्था के लाभ को और अधिक समावेशी बनाना बाइडन प्रशासन की पहली प्राथमिकता नजर आ रही है। उच्च दबाव वाली अर्थव्यवस्था को स्थायित्व देने के लिए बाइडन प्रशासन उच्च प्रोत्साहन वाली आर्थिक नीति का इस्तेमाल करेगा।


अमेरिका राजकोषीय प्रोत्साहन के जरिये उच्च दबाव वाली अर्थव्यवस्था कायम रख सकता है लेकिन इसका स्थायित्व फेडरल रिजर्व तय करेगा। यदि वह दरें बढ़ाता है तो उच्च वृद्धि बरकरार नहीं रह सकेगी। लगता नहीं कि फेड चेयरमैन जीरोम पॉवेल 2023 के अंत तक दरों में इजाफा करेंगे। उन्होंने लगातार बाजार को शांत करने का प्रयास किया है। शायद वह वाकई यह मानते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था कुछ अरसे तक ऐसे चल सकती है और ढांचागत मसलों के चलते कम बेरोजगारी दर और मुद्रास्फीति के बीच का रिश्ता अतीत की तुलना में आपस में कम संबद्ध है। पॉवेल 2015 में भी ऐसी टिप्पणी कर चुके हैं। उस वक्त वह फेड की तत्कालीन चेयरपर्सन जैनेट येलन के दरों में इजाफे के निर्णय से असहमत थे। बीते कुछ वर्ष में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन ने उनकी धारणा को मजबूत किया है। बेरोजगारी दर के 50 वर्ष के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद भी मुद्रास्फीति कमजोर बनी रही।


फेडरल रिजर्व ने औसत मुद्रास्फीति को लक्षित करने वाले ढांचे में बदलाव करके अपने लिए गुंजाइश तैयार कर ली है। बैंक मुद्रास्फीति को थोड़ा लंबी अवधि तक बढऩे देना चाहता है, उसके बाद ही वह दरों में इजाफा करेगा। बैंक ने खुलकर कहा है कि वह आधार प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति में होने वाले इजाफे पर भी ध्यान देगा। यह प्रभाव मार्च के बाद नजर आने लगेगा। निकट भविष्य में पॉवेल का दरों में इजाफा करने का कोई विचार नहीं है। बहरहाल यदि लंबी अवधि के मुद्रास्फीतिक अनुमान या औसत मुद्रास्फीति की दर सतत ढंग से 2 फीसदी से अधिक होती है तो उन्हें प्रतिक्रिया देनी ही होगी।


चाहे जैसा भी हो लेकिन फेडरल रिजर्व को यह दांव खेलना होगा। महज इसलिए कि महामारी के पहले अमेरिकी अर्थव्यवस्था अत्यंत कम मुद्रास्फीति के साथ संचालित हो रही थी, इसका यह अर्थ नहीं है कि उच्च दाब वाली अर्थव्यवस्था में भी वैसे ही नतीजे देखने को मिलेंगे। हकीकत तो यह है कि जैसा लैरी समर्स ने संकेत किया, 1.9 लाख करोड़ डॉलर का राजकोषीय प्रोत्साहन संभावित और वास्तविक उत्पादन के अंतर को बढ़ाने वाला है और इससे मुद्रास्फीतिक रुझानों का दबाव उत्पन्न होगा जो काफी समय से नहीं दिखे। सन 2021 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 6 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ेगी। यह इकलौती अर्थव्यवस्था होगी जो 2022 का अंत महामारी के पूर्व की स्थिति से बेहतर हालात में करेगी। इस समय वृद्धि पर पूरा जोर दिया जा रहा है। ऐसा तब है जबकि आगे चलकर इस वर्ष और अधिक प्रोत्साहन देने की योजना है।


बॉन्ड बाजार फेड की परीक्षा लेंगे और उसकी प्रतिक्रिया के असर का आकलन करेंगे। एक सवाल यह है कि प्रतिफल को कितना बढऩे दिया जाएगा? क्या मुद्रास्फीति या अनुमान में कोई इजाफा होगा? क्या फेड वास्तव में मुद्रास्फीति को बढऩे देगा और साथ ही नियंत्रण कायम रखेगा? कई सवाल हैं जो अनुत्तरित हैं। बाजार इन बातों पर नजर रखेगा।


इस वर्ष पहले ही 10 वर्ष के ट्रेजरी बॉन्ड का प्रतिफल 70 आधार अंक बढ़कर 1.62 5 फीसदी हो चुका है। अब तक फेडरल रिजर्व ने पहल नहीं की है क्योंकि बढ़ता प्रतिफल वृद्धि को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। यदि वित्तीय स्थिति तंग होती है तो अर्थव्यवस्था उसे बरदाश्त कर लेगी। शेयर बाजार भी स्थिर हैं। ऐसा लगता है कि प्रतिफल में दो फीसदी की कमी आ सकती है यानी महामारी के पहले वाला स्तर हो सकता है। एक बात स्पष्ट है कि बॉन्ड प्रतिफल में निकट भविष्य में कोई कमी नहीं आने वाली है। प्रतिफल में सुधार के इस माहौल में बाजार को बढ़ती आय के रूप में विपरीत शक्ति का सामना करना होगा। बाजार की मजबूती की बात करें तो वह बाजार चक्र के मौजूदा स्तर के अनुरूप ही है।


एक बात स्पष्ट है कि हमें आवर्तन देखने को मिलता रहेगा। जैसा कि बीते कुछ महीनों से देखने को मिल रहा है मूल्य, वृद्धि को पीछे छोड़ देगा। बढ़ता प्रतिफल शेयरों की वृद्धि के लिए नुकसानदेह है क्योंकि वे काफी हद तक भविष्य के आय अनुमानों पर निर्भर करते हैं। एक और बात यह है कि टीकाकरण होने और संक्रमण में कमी आने से अर्थव्यवस्था खुल रही है और उन क्षेत्रों को अब लाभ हो रहा है जो लॉकडाउन से प्रभावित हुए थे। अभी इन बातों की शुरुआत भर हुई है और काफी कुछ सामने आना शेष है। अभी बाजार स्थिर हैं लेकिन आंतरिक तौर पर काफी कुछ घटित हो रहा है। ऐसे में एक बार फिर शेयरों का चयन महत्त्वपूर्ण होने वाला है।


(लेखक अमांसा कैपिटल से संबद्ध हैं)

सौजन्य - बिजनेस स्टैंडर्ड।

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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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