अफसोस की बात यह है कि इस कठिन समय में जमाखोर भी सक्रिय हो गए हैं।. कई जगहों से रेमडेसिविर ब्लैक में कई गुना ज्यादा कीमत पर बेचे जाने की खबरें मिल रही हैं। इन पर रोक लगाने की कोशिशें फलित नहीं हुई हैं। आईसीयू बेड की कमी से निपटने के भी प्रयास हुए हैं, लेकिन वे काफी नहीं।
कोरोना की दूसरी लहर देश भर में जैसा भयावह रूप लेती जा रही है, वह अच्छा संकेत नहीं है। मरीजों की बेतहाशा बढ़ती संख्या के बीच अस्पतालों में आईसीयू बेड, ऑक्सिजन सिलिंडर और रेमडेसिविर दवा की भारी कमी की खबरें कई राज्यों से आ रही हैं। दिल्ली सरकार ने तो आधिकारिक तौर पर इन सबकी कमी की बात मानी है। कई राज्यों से ऐसी अपुष्ट रिपोर्टें आ रही हैं। मध्य प्रदेश के शहडोल में ऑक्सिजन की कमी से छह लोगों की मौत की खबर है। हालांकि सरकार इन मौतों के कारणों की जांच करवा रही है, इसलिए अभी पक्के तौर पर यह नहीं माना जा सकता कि मौत ऑक्सिजन की कमी के चलते हुई है। बहरहाल, ऑक्सिजन की कमी एक बड़ी समस्या है जिसे दूर करने की कोशिश में तमाम सरकारें लगी हुई हैं। रेलवे ने खास तौर पर ऑक्सिजन एक्सप्रेस चलाने की घोषणा की है ताकि कम से कम सप्लाई लाइन बाधित होने की वजह से अस्पतालों में ऑक्सिजन की कमी न होने दी जाए। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी समस्या के मद्देनजर राज्य में दस नए ऑक्सिजन प्लांट जल्द से जल्द लगवाने का आदेश दिया है।
जाहिर है, इससे फौरी तौर पर ऑक्सिजन की कमी दूर करने में कोई मदद शायद ही मिले, लेकिन कोरोना का जो रूप दिख रहा है, उसमें यह चुनौती इतनी जल्दी नहीं दूर होने वाली। ऐसे में थोड़ा आगे की सोच कर फैसला लेना समझदारी का कदम ही कहलाएगा। अफसोस की बात यह है कि इस कठिन समय में जमाखोर भी सक्रिय हो गए हैं।. कई जगहों से रेमडेसिविर ब्लैक में कई गुना ज्यादा कीमत पर बेचे जाने की खबरें मिल रही हैं। इन पर रोक लगाने की कोशिशें फलित नहीं हुई हैं। आईसीयू बेड की कमी से निपटने के भी प्रयास हुए हैं, लेकिन वे काफी नहीं। ऐसे संकटपूर्ण हालात में जहां आवश्यक कदमों में असामान्य तेजी लाने की जरूरत होती है, वहीं शांति, समझदारी और संयम बरतने की आवश्यकता भी बढ़ जाती है। एक भी गैरजरूरी या गलत कदम परिस्थिति की जटिलता को कई गुना बढ़ा सकता है। सबसे ज्यादा जरूरी है यह याद रखना कि सरकार की ताकत का इस्तेमाल कहां होना चाहिए और कहां नहीं। आवश्यक दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वाले तत्वों पर सख्ती से रोक पहली जरूरत है। सरकार उस मोर्चे पर पूरी कड़ाई बरते। लॉकडाउन जैसे कदमों से त्रस्त लोगों की तकलीफ समझी जाए, जहां तक हो सके उनकी मदद करने की कोशिश हो। लेकिन सरकार के लिए सबसे बड़ा और कठिन मोर्चा है मरीजों के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने का। इलाज के काम में पूरे देश का समूचा स्वास्थ्य ढांचा जुटा ही हुआ है। इसमें सीधा दखल देने से बचते हुए सरकार इस ढांचे से तालमेल बनाए रखते हुए उसकी जरूरतें पूरी करने और उसे आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने पर ध्यान दे तो सब मिल-जुलकर इस कठिन चुनौती से भी पार पा लेंगे।
सौजन्य - नवभारत टाइम्स।
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