बंगलादेश का हैरान करने वाला विकास (पंजाब केसरी)

26 मार्च को बंगलादेश की आजादी के 50 वर्ष पूरे हो गए। बंगलादेश के इतिहास पर नजर डालें तो औपनिवेशिक काल में बंगाल का पूर्वी हिस्सा ब्रिटिश भारत के सबसे गरीब हिस्सों में से एक था। 1947 में स्वतंत्रता और विभाजन के बाद यह पाकिस्तान के सबसे गरीब हिस्सों में से एक

26 मार्च को बंगलादेश की आजादी के 50 वर्ष पूरे हो गए। बंगलादेश के इतिहास पर नजर डालें तो औपनिवेशिक काल में बंगाल का पूर्वी हिस्सा ब्रिटिश भारत के सबसे गरीब हिस्सों में से एक था। 1947 में स्वतंत्रता और विभाजन के बाद यह पाकिस्तान के सबसे गरीब हिस्सों में से एक बन गया। 1971 में भारत की मदद से स्वतंत्र देश बनने के बाद यह और भी निर्धन हो गया क्योंकि आजादी के संघर्ष ने इसे बहुत नुक्सान पहुंचाया और उस समय शायद ही कोई यह भविष्यवाणी कर सकता होगा कि बंगलादेश आज जैसी स्थिति में पहुंच जाएगा। 

1971 में पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त होने के बाद बंगलादेश के शासकों ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण की ओर विशेष रूप से ध्यान दिया जिसके परिणामस्वरूप आज बंगलादेश में इनकी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। हालांकि जब भी बंगलादेश के नाम का जिक्र होता है तो अधिकतर लोगों के मन में एक बेहद पिछड़े देश की छवि बन जाती है परंतु कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां आज बंगलादेश ने विकास से सभी को हैरान किया है। आज देश की प्रति व्यक्ति आय पाकिस्तान से आगे निकल चुकी है। कोरोना महामारी से पहले इसकी आर्थिक विकास दर लगातार चार साल तक 7 प्रतिशत से अधिक रही जो केवल पाकिस्तान और भारत ही नहीं, बल्कि चीन से भी अधिक थी। 

आज बंगलादेशी न केवल सम्पन्न हैं बल्कि स्वस्थ और बेहतर शिक्षित भी हैं। 98 प्रतिशत बंगलादेशी बच्चे प्राथमिक स्कूल की पढ़ाई पूरी करते हैं जबकि 1980 के दशक के दौरान इनकी संख्या एक-तिहाई से भी कम थी। शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई है। लगभग सभी लोग खुले में शौच करने के बजाय शौचालय का उपयोग करते हैं। इन सभी मामलों में यह पाकिस्तान और भारत दोनों की तुलना में बेहतर कर रहा है। कई हफ्ते पहले ‘संयुक्त राष्ट्र विकास नीति समिति’ ने बंगलादेश को ‘बेहद कम विकसित देश’ के दर्जे से आगे बढ़ाते हुए ‘विकासशील देश’ का दर्जा देने की सिफारिश की। 

आजादी के 50 वर्ष बाद जश्न मनाने के लिए बंगलादेश के पास बहुत कुछ है। यह दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक विकास की कहानियों में से एक रहा है। 1980 के बाद से हर दशक में इसकी औसत आॢथक वृद्धि लगातार बढ़ रही है। इसका निर्यात गत 10 वर्षों में लगभग 80 प्रतिशत बढ़ गया है। गत अक्तूबर में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान लगाया कि 2020 में इसका प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद भारत से अधिक होगा। 

विशेषज्ञ बंगलादेश की विकास की कहानी को कई कारकों से जोड़ते हैं- प्रतिस्पर्धी कपड़ा उद्योग जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उद्योग बन गया है। इसके अलावा महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण, गैर-सरकारी संगठनों का एक बड़ा नैटवर्क और विदेशों में बसे बंगलादेशी  नागरिकों द्वारा भेजा जाने वाला धन भी एक बड़ा कारक है। 

कपड़ा उद्योग ने महिलाओं की हालत बेहतर करने में विशेष रूप से मदद की है। इसी की बदौलत ही कामकाजी आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 50 वर्ष पहले के 3 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई है। बंगलादेश के 40 लाख कपड़ा श्रमिकों में से 80 प्रतिशत महिलाएं हैं, उनका काम उन्हें घर और बाहर आर्थिक स्वतंत्रता और सम्मान प्रदान करता है। 

हालांकि, बंगलादेश की राजनीति आज भी पहले की ही तरह निराशाजनक है। शेख मुजीब ने इसे बहुदलीय देश में बदलने की कोशिश की लेकिन जल्दी ही उनकी हत्या कर दी गई। वर्तमान प्रधानमंत्री और शेख मुजीब की बेटी शेख हसीना ने 2009 में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद निष्पक्ष कार्यवाहक सरकार के अंतर्गत चुनाव कराने की प्रथा को समाप्त कर दिया। मुख्य विपक्षी नेत्री खालिदा जिया को 2015 में गिरफ्तार करके भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया गया और उनके राजनीति में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बंगलादेश में केवल विपक्षी कार्यकत्र्ता ही नहीं बल्कि पत्रकारों और सरकार के अन्य आलोचकों को भी लगातार सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है। 

स्पष्ट है कि बंगलादेश की प्रधानमंत्री की सरकार सिंगापुर और चीनी मॉडल से प्रेरित है जहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता को दबा कर आर्थिक प्रगति हासिल की जाती है। बंगलादेश भी इसी की ओर अग्रसर है परंतु जहां तक महिलाओं के सशक्तिकरण का सवाल है, इसे भारत तथा पाकिस्तान को बंगलादेश से सीखने की जरूरत है। 

सौजन्य - पंजाब केसरी।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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