पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम में विशाल चुनावी रैलियां हुईं और बाकी राज्यों की तरह पिछले 15 दिनों में वहां भी कोरोना के एक्टिव मामलों में 100 से 500 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बंगाल जहां 8 चरणों में 29 अप्रैल तक मतदान हो रहा है, वहां 30 मार्च को कोरोना के 628 नए मरीजों का पता चला था, जो 13 अप्रैल को 4,817 तक पहुंच गया।
देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या 2 लाख रोजाना के रेकॉर्ड लेवल तक पहुंच गई है। 10 रोज पहले ही यह संख्या 1 लाख तक पहुंची थी। यह अभूतपूर्व तेजी है, लेकिन दुख की बात यह है कि इसे रोकने के लिए जो किया जा सकता था, वह भी नहीं हो रहा। खासतौर पर राजनीतिक दलों का रवैया अफसोसनाक है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम में विशाल चुनावी रैलियां हुईं और बाकी राज्यों की तरह पिछले 15 दिनों में वहां भी कोरोना के एक्टिव मामलों में 100 से 500 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बंगाल जहां 8 चरणों में 29 अप्रैल तक मतदान हो रहा है, वहां 30 मार्च को कोरोना के 628 नए मरीजों का पता चला था, जो 13 अप्रैल को 4,817 तक पहुंच गया। तमिलनाडु, केरल और असम में भी कोरोना के नए मरीजों की संख्या में कई गुना की बढ़ोतरी हुई है। पांच में से चार राज्यों में चुनाव हो चुके हैं, सिर्फ बंगाल में चार चरणों का मतदान बाकी है। अभी तक सिर्फ सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट ने कहा है कि वह आगे से कोई बड़ी रैली नहीं करेगा।
इस बीच, पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी ने शुक्रवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें वह महामारी के दौर में चुनाव प्रचार को लेकर अपने दिशानिर्देश दोहराएंगे। वह बाकी के चरणों के चुनाव के लिए वर्चुअल रैलियों को प्रोत्साहित करेंगे। अच्छा हो कि राजनीतिक दल खुद ही पहल करके राजनीतिक रैलियां बंद कर दें, चाहे वे छोटी हों या बड़ी। वे वर्चुअल माध्यमों से चुनाव प्रचार करें। यह उनका दायित्व है और नैतिक जिम्मेदारी भी। वैसे भी जनता से उन्हें जो भी कहना था, वे कह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव ने भी कोरोना संक्रमण के लिहाज से बड़ी चुनौती पेश की है, जहां गुरुवार को पहले चरण का मतदान हुआ। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह खुद कह रहे हैं कि पंचायत चुनाव और दूसरे राज्यों से कृषि मजदूरों के लौटने से स्थिति बिगड़ी है। 14 अप्रैल को यहां डेली केसों की संख्या 20 हजार पार कर गई, जो कि राज्य के लिए एक रेकॉर्ड है। पंचायत चुनाव के अभी तीन चरण बाकी हैं। अच्छा होता, अगर इन चुनावों को टाल दिया जाता।
एक और सुपर-स्प्रेडर इवेंट हरिद्वार में चल रहा कुंभ है। बुधवार को वहां तीसरा शाही स्नान था, जिसमें 14 लाख लोग शामिल हुए। यह संख्या अपने आप में इतनी बड़ी है कि इससे महामारी और बेलगाम हो सकती है। 10 अप्रैल के बाद से कुंभ में 1,278 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें 18 संत भी शामिल हैं। इस पर उत्तराखंड सरकार का रुख हैरान करने वाला है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कह रहे हैं कि यहां गंगा मां की कृपा है, इसलिए कोरोना नहीं फैलेगा। सत्ता में बैठे लोगों को स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ऐसी बातों से बचना चाहिए। महामारी की दूसरी लहर की मार कम करने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है, अच्छा हो कि सरकारें, चुनाव आयोग, राजनीतिक दल और आम लोग उस पर अमल करें।
सौजन्य - नवभारत टाइम्स।
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