आत्म-दर्शन : क्रूरता है गर्भपात (पत्रिका)

मुनि प्रमाण सागर

गर्भपात एक बहुत क्रूर कर्म है, इसे कराने की बात तो दूर, सोचना भी नहीं चाहिए। इस कार्य को करने, कराने और सहयोग देने वाले पाप के भागी होते हैं। गर्भपात एक जीते-जागते जीव की हत्या है। अपने ही कलेजे के टुकड़े की हत्या है, अपने ही हिये के लाल की हत्या है। इसी का दुष्परिणाम है कि हमारे समाज में लड़के-लड़कियों का लिंगानुपात बिगड़ रहा है। इसी कारण आज लड़कों की शादियां नहीं हो पा रही हैं।

सोचने का विषय है कि जिस दिन समाज नारी विहीन हो जाएगा, उस दिन समाज ही खत्म हो जाएगा, जिस दिन नारी नहीं रहेगी पुरुष भी लुप्त हो जाएंगे। भारतीय संस्कृति में नारी ममता, करुणा, लक्ष्मी, क्षमा, दुर्गा और शक्ति का प्रतीक है। इसलिए उसकी पूजा होती है। जिस दिन नारी में करुणा, ममता, क्षमा, लक्ष्मी, दुर्गा और शक्ति के गुण खत्म हो जाएंगे समाज बहुत ज्यादा क्रूर और बर्बर हो जाएगा। ऐसा समाज बन जाएगा, जहां कोई सुरक्षित नहीं रहेगा।

सौजन्य - पत्रिका।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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