नई स्क्रैपिंग नीति से ऑटो सेक्टर लेगा आकार या पैदा होंगे विकार? (पत्रिका)

भारत की पहली औपचारिक 'व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी' पुराने और 'अनफिट' कमर्शियल और निजी वाहनों को चलन से बाहर करने पर केंद्रित है ताकि देश में प्रदूषण का स्तर नीचे आए, सड़क और वाहन सुरक्षा और ईंधन उपयोगिता बेहतर हो, और ऑटो इंडस्ट्री को प्रोत्साहन मिल सके। हालांकि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने नई नीति को सभी के लिए लाभकारी बताया है, लेकिन ऑटो इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन और वाहन मालिक स्वयं नई नीति को लेकर इस दावे से सहमत नहीं हैं।

नई नीति की सिफारिशों को 'अव्यावहारिक' बताते हुए ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ गुड्स व्हीकल ओनर्स एसोसिएशन और केरल लॉरी ओनर्स फेडरेशन ने मंत्रालय से कहा है कि यदि सरकार नई नीति को अमल में लाती है तो देश के करीब 50 प्रतिशत मालवाहक वाहनों को स्क्रैप में तब्दील करना पड़ेगा। ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि कंपनियों ने हाल ही बीएस4 से बीएस6 पर जाने में भारी निवेश किया है। नई नीति में पुराने वाहन को हटाकर नया वाहन खरीदने पर जिस छूट की बात की गई है, उसके बारे में सोच पाना मौजूदा हालात में कार निर्माताओं के लिए बेहद मुश्किल होगा। यदि दबाव पड़ा, तो कीमतें बढ़ानी होंगी, जिससे ऑटो सेक्टर को कोई मदद नहीं मिलेगी। वाहनों की बिक्री में इजाफा हो, इसके लिए सरकार को चाहिए कि ऑटो सेक्टर को राहत पैकेज मुहैया कराए।

ऐसे में स्क्रैपिंग नीति की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि दूरदर्शी निवेशक देश भर में पर्याप्त संख्या में स्वचालित फिटनेस सेंटर और स्क्रैप सेंटर बनाएं। चूंकि निकट भविष्य में यह एक बड़े कारोबार की शक्ल ले सकता है, इसलिए नीति निर्माताओं का मानना है कि इन सेंटर के लिए केंद्र से किसी वित्तीय मदद की उम्मीद न के बराबर है। मंत्रालय के अनुसार, स्क्रैप इंडस्ट्री का सालाना टर्नओवर 7.2 लाख करोड़़ रुपए हो सकता है।

ऐसे काम करेंगे स्क्रैपिंग सेंटर-
मंत्रालय ने स्क्रैपिंग सेंटरों के संचालन को लेकर अधिसूचना जारी की है। भारत के लिए वाहन स्क्रैप करने के सेंटर नई बात नहीं है। ग्रेटर नोएडा से बाहर एमएमआरपीएल भारत के पहले स्क्रैपिंग सेंटरों में से एक है, जो महिंद्रा और सरकारी स्वामित्व वाली एमएसटीसी लिमिटेड का संयुक्त उपक्रम है। नई नीति के अनुसार पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (आरवीएसएफ) केंद्र किसी भी कानूनी इकाई द्वारा खोले जा सकेंगे। इन केंद्रों को स्वास्थ्य, सुरक्षा, श्रम नियमों और अनिवार्य पर्यावरण कानूनों का पालन करना होगा। वाहन स्क्रैप करने का आधार उसकी फिटनेस परीक्षण केंद्र की रिपोर्ट होगी।

डेटाबेस से होंगे कनेक्ट-
आरवीएसएफ केंद्र, सरकार के वाहन डेटाबेस से जुड़े होंगे, ताकि तय हो सके कि स्क्रैप के लिए आई गाड़ी चोरी की तो नहीं या आपराधिक गतिविधि से संबंधित तो नहीं। केंद्र का लाइसेंस दस साल तक के लिए वैध होगा, जिसे आगे रिन्यू कराया जा सकेगा। केंद्र वाहन मालिक से प्राप्त दस्तावेजों की जांच कर 'सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिटÓ जारी करेगा। इसका इस्तेमाल नए वाहन की खरीद के वक्त किया जा सकेगा, ताकि उपभोक्ता को संबंधित लाभ मिल सकें। स्क्रैप सेंटर को 'सर्टिफिकेट ऑफ व्हीकल स्क्रैपिंग' प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि से छह माह तक स्क्रैप किए गए वाहन चैसिस नम्बर का कट पीस व अन्य रिकॉर्ड ऑडिट जांच के लिए रखना होगा।

सौजन्य - पत्रिका।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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