सरकारों को हालात संभालने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए दिखना चाहिए। जो कोरोना मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं उनमें से कई ऑक्सीजन को भी तरस रहे हैं। इसके चलते कई मरीज दम तोड़ दे रहे हैं। यह स्थिति सर्वथा अस्वीकार्य है।
खतरनाक ढंग से बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ऑक्सीजन से लेकर दवाओं और अस्पतालों में बेड की तंगी का स्वत: संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सही कदम उठाया। उसके इस आकलन से असहमत होना कठिन है कि इस समय स्वास्थ्य के मोर्चे पर आपातकाल जैसे हालात हैं। चूंकि चारों ओर से शिकायतें आ रही हैं, इसलिए सरकार से यह सवाल पूछना बनता था कि आखिर उसके पास कोरोना से निपटने के लिए क्या व्यवस्था है? सरकार को इस सवाल का जवाब ही नहीं देना होगा, बल्कि उन समस्याओं के समाधान की कोई ठोस रूपरेखा भी रखनी होगी, जिनसे देश दो-चार है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सहायता के लिए जाने-माने वकील हरीश साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त किया है। उम्मीद है कि उनकी मदद से वह ऐसे दिशा-निर्देश जारी करने में समर्थ होगा, जो हाहाकार वाले हालात को ठीक करने के साथ केंद्र और राज्यों में समन्वय कायम करने में भी सहायक बनेंगे। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि फिलहाल समन्वय के बजाय खींचतान और यहां तक कि आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिल रहे हैं। एक समस्या यह भी है कि अलग-अलग उच्च न्यायालय कोरोना संकट से निपटने के मामले में अपने-अपने हिसाब से केंद्र और राज्यों को निर्देश दे रहे हैं।
इन दिनों कम से कम छह उच्च न्यायालय कोविड प्रबंधन से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। यह स्वाभाविक है, लेकिन इसमें संदेह है कि उनकी ओर से सरकारों को डांटने-फटकारने से हालात सुधारने में मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट को यह देखना होगा कि इस डांट-फटकार से न तो भ्रम फैलने पाए और न ही शासन-प्रशासन के साथ चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य र्किमयों का मनोबल प्रभावित होने पाए। यह तथ्य ओझल नहीं होना चाहिए कि विपरीत हालात से जूझते तमाम मददगार अपनी-अपनी सामथ्र्य भर सक्रिय हैं।
इससे इन्कार नहीं कि स्वास्थ्य ढांचा चरमराता दिख रहा है, लेकिन यह ध्यान रहे कि ये मददगार ही बिगड़ी को बनाने में सहायक बनेंगे। इनके मनोबल को बनाए रखने के साथ सरकारों को अराजकता को छूती अव्यवस्था दूर करने के लिए जी-जान से जुटना होगा, क्योंकि यह अक्षम्य है कि एक ओर अस्पतालों में भर्ती होना मुश्किल है तो दूसरी ओर ऑक्सीजन से लेकर कुछ दवाओं की कालाबाजारी भी हो रही है। यह मनमानी और अंधेरगर्दी सरकारों के प्रति आम आदमी के भरोसे पर चोट करने वाली है। सरकारों को हालात संभालने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए दिखना चाहिए। वे इससे अनजान नहीं हो सकतीं कि जो कोरोना मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं हो पा रहे हैं, उनमें से कई ऑक्सीजन को भी तरस रहे हैं। इसके चलते कई मरीज दम तोड़ दे रहे हैं। यह स्थिति सर्वथा अस्वीकार्य है।
सौजन्य - दैनिक जागरण।
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