चीन में तीव्र शहरीकरण से अन्य महामारी की आशंका (पत्रिका)

निक आर. स्मिथ

कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हाल ही जारी की गई रिपोर्ट कोई निष्कर्ष देने में नाकाम रही है। सचाई यह है कि हमें कभी इस सवाल का स्पष्ट उत्तर नहीं मिलेगा कि कोविड-19 फैला कैसे। भले ही रिपोर्ट के लेखक बड़ी चतुराई से कुछ निष्कर्षों को दुनिया के सामने रखने से बच गए हों लेकिन एक बात तय है कि तेजी से बढ़ रहे चीनी शहरीकरण की महामारी फैलाने में बड़ी भूमिका है। साथ ही त्वरित शहरीकरण के चीन के अनवरत प्रयासों के चलते किसी और महामारी की आशंका और गहराती जा रही है।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी के स्रोत तक पहुंचने के तीन संभाव्य मार्ग हो सकते हैं और सभी चमगादड़ या किसी अन्य अभी तक अज्ञात जानवर तक पहुंचा सकते हैं। संभाव्यता के क्रम में संक्रमण के ये तीन संभावित रास्ते हैं-पहला, पशुओं से इंसानों में, सीधे इंसानों में या प्रदूषित खाद्य आपूर्ति चेन अथवा कोल्ड चेन से। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं किया गया कि इन सारी समस्याओं की जड़ चीन का तेजी से बढ़ता शहरीकरण है, जिससे खान-पान पर भी असर पड़ा है। यह समस्या केवल चीन तक ही सीमित नहीं है। पूरी दुनिया में तेज शहरीकरण से जानवरों के वायरस के इंसानों पर हमले यानी जूनोटिक संक्रमण की आशंका बढ़ी है। फिर भी चीन के शहरीकरण की रफ्तार और स्तर की विशेष जांच अवश्य होनी चाहिए।

चीन की शहरीकरण की सरकारी नीति केवल वुहान जैसे मेट्रो शहर बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें देश के एक बड़े भूभाग का रूपांतरण शामिल है। साल 2000 से ही चीनी नेता इस कोशिश में लगे हैं। इसके तहत लाखों ग्रामीणों को शहरों-कस्बों में बसाया गया, जहां वे उपभोक्ता मांग बढ़ाने में सहायक सिद्ध हों। इसमें मांस व अन्य विशेष खाद्य पदार्थ शामिल हैं। इस बीच, जो लोग गांव में छूट गए हैं, उनका रुझान परम्परागत खेती से औद्योगिक खेती की ओर किया जा रहा है ताकि वे क्षेत्रीय से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खाद्य नेटवर्क का हिस्सा बन सकें। परन्तु इसकी कीमत इंसान को जूनोटिक संक्रमण के रूप में चुकानी पड़ रही है।

डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट सार्स-कोव-2 वायरस के चमगादड़ों से किसी अन्य पशु या किसानों के पशुधन तक और फिर इंसानों में फैलने की संभावना सबसे ज्यादा मानती है। चीन में शहरी आबादी के बीच मांसाहार की बढ़ती खपत इसका प्रमुख कारण है। चीन का पोर्क और चिकन बाजार एवियन और स्वाइन फ्लू का मुख्य स्रोत हैं। 2020 में एक और खबर सामने आई थी कि चीन मेें स्वाइन फ्लूू का एक नया स्ट्रेन मिला है, जो महामारी का रूप लेे सकता है। चीनी संस्कृति में कई बार वन्य जीवों का इस्तेमाल स्टेटस सिम्बल के तौर पर भी किया जाता है। कुछ पारम्परिक चीनी दवाओं में भी कुछ विशेष जीवों का प्रयोग होता है। हालांकि महामारी के मद्देनजर चीन ने वन्यजीव व्यापार पर प्रतिबंध लगाया है, पर अब कुछ ग्रामीण अपनी आजीविका के लिए अवैध रूप से यह काम कर रहे हैं। चीन में चमगादड़ जैसे वन्य जीवों का उपभोग भले ही विशिष्ट आयोजनों व स्थानों तक केंद्रित था, पर खान-पान में बदलाव के साथ इन जीवों को ऐसे उत्पादों में ढाला गया जिन्हें देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाना संभव हो गया। यहीं से आशंका बनती है महामारी के तीसरे मार्ग यानी फूड चेन की। ध्यान भटकाने के लिए चीन तर्क दे रहा है कि संभव है सार्स-कोव-2 वायरस कोल्ड चेन के जरिए किसी प्रदूषित फ्रोजन खाद्य पदार्थ से वुहान पहुंचा हो, जहां बीमारी पनपी।

शहरीकरण और खान-पान में बदलाव के चलते हालांकि महामारी कभी भी, कहीं भी पनप सकती है, लेकिन इस समय खास तौर पर चीन में शहरीकरण की रफ्तार के चलते यह खतरा पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है। शहरीकरण की दौड़ में जब हम गांवों, खेतीबाड़ी और अपने पर्यावरण का शहरीकरण करते हैं, तो रोगाणुओं के शहरीकरण को कैसे रोक पाएंगे।
(लेखक कोलम्बिया विवि में शहरी अध्ययन के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)

सौजन्य - पत्रिका।
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About न्यूज डेस्क, नई दिल्ली.

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