यूं तो सभी धर्म एक जैसे ही हैं परंतु सभी में समय-समय पर कुछ त्रुटियां व्याप्त होती रही हैं जिन्हें उन धर्मों से संबंधित महान विभूतियों द्वारा दूर भी किया जाता रहा है। इनमें वर्तमान पोप फ्रांसिस भी शामिल हैं। 13 मार्च, 2013 को कैथोलिक ईसाइयों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ तथा विश्व की शक्तिशाली धार्मिक संस्थाओं में से एक ‘वैटिकन’ के 266वें पोप बने फ्रांसिस ने पद ग्रहण करते ही चर्च में घर कर चुकी कमजोरियां दूर करने के लिए सुधारवादी कदम उठाने शुरू कर दिए जिनके अंतर्गत उन्होंने :
* 12 जून, 2013 को पहली बार स्वीकार किया कि वैटिकन में ‘गे’ (समलैंगिक) समर्थक लॉबी व भारी भ्रष्टाचार मौजूद है और उन्होंने इसकी घोर निंदा करते हुए कहा कि ‘‘दुष्टï नरक में जाएंगे।’’
* 14 जून, 2013 को पोप फ्रांसिस ने शादी से पूर्व सहमति स बन्ध (लिव इन रिलेशनशिप) में रहने वाले कैथोलिक जोड़ों की निंदा की तथा कहा, ‘‘आज कई कैथोलिक बिना शादी किए ही इकट्ठे रह रहे हैं जो सही नहीं।’’
* 5 मार्च, 2014 को अमरीका में मैरोनाइट कैथोलिक गिरजाघर में एक शादीशुदा व्यक्ति को पादरी बनाकर उन्होंने एक नई पहल की।
* 4 जून, 2014 को पोप फ्रांसिस ने संतानहीन द पतियों से कहा कि ‘‘जानवरों की तुलना में अनाथ बच्चों को प्यार देना और उन्हें गोद लेना बेहतर है।’’
* 25 दिस बर, 2014 को पोप फ्रांसिस बोले, ‘‘पादरी व बिशप आदि अपना रुतबा बढ़ाने के लिए सांठ-गांठ, जोड़-तोड़ और लोभ की भावनाओं से ग्रस्त हो गए हैं। कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मस्थल वैटिकन के कामकाज में सुधार लाने की आवश्यकता है।’’
* 17 जून, 2017 को पोप फ्रांसिस ने कैथोलिक धर्म में घुस आए भ्रष्टाचार और माफिया तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए कानूनी नियमावली बनाने संबंधी फैसला करते हुए इनके बहिष्कार का आह्वान किया।
* 14 अक्तूबर, 2018 को पोप फ्रांसिस ने नाबालिगों के यौन शोषण के मामले में चिली के पूर्व आर्कबिशप ‘फ्रांसिस्को जोस’ तथा पूर्व बिशप ‘मार्को एंटोनियो’ को पादरी पद से बर्खास्त करने के आदेश दिए। इससे पहले बच्चों से यौन दुराचार करने व उनका शोषण करने वाले पादरियों को शायद ही कभी सजा मिली हो। कुछ धर्मशास्त्रियों के अनुसार बच्चों के यौन शोषण के पीछे चर्च की नीति जि मेदार है। इसके अंतर्गत पादरियों को ब्रह्मïचर्य का पालन करना पड़ता है जो सभी के लिए संभव नहीं होता। ऐसे मामलों में चर्च केउच्च अधिकारियों पर पादरियों का बचाव करने के भी आरोप हैं।
* 18 दिस बर, 2018 को पोप ने विभिन्न राज्याध्यक्षों के नाम संदेश में कहा कि अपने देशों की समस्याओं के लिए वे आप्रवासियों को जि मेदार न ठहराएं और जातिवादी नीतियां अपना कर समाज में अविश्वास की भावना न फैलाएं।
* 11 जनवरी, 2021 को पोप फ्रांसिस ने महिलाओं को कैथोलिक चर्च में बराबरी का दर्जा और उन्हें चर्च की प्रार्थना करवाने की प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार देने का निर्णय लिया और कहा कि प्रार्थना प्रक्रिया में शामिल महिलाएं किसी दिन पादरी का दर्जा भी प्राप्त करेंगी।
* और अब 29 अप्रैल को पोप फ्रांसिस ने चर्च के बड़े पादरी (काॢडनल) सहित सभी उच्च पदाधिकारियों को अपनी स पत्तियों का खुलासा करने का आदेश देते हुए कहा है कि ‘‘आप लोग 50 डालर से अधिक मूल्य का उपहार न लें। ईश्वर के काम में जुड़े लोग भ्रष्टïाचार से मुक्त रहें और वित्तीय लेन-देन में ईमानदारी तथा पारदर्शिता बरतें।’’
इससे पादरियों के महंगे तोहफे लेेने की पर परा समाप्त होगी और उन्हें यह शपथ पत्र देना होगा कि वे कभी किसी भी भ्रष्ट आचरण, धोखाधड़ी, बच्चों के यौन शोषण, आतंकवाद, मनीलांड्रिंग, टैक्स चोरी जैसे अपराध में शामिल नहीं रहे और न होंगे। इसी प्रकार अब वैटिकन के पदाधिकारी टैक्स बचाने के लिए अपना धन दूसरे देशों में जमा नहीं करवा सकेंगे और क पनियों आदि के शेयर खरीद कर ब्याज भी नहीं कमा सकेंगे।
पोप फ्रांसिस ने आपराधिक आचरण के आरोपी काॢडनलों और उच्च स्तर के पादरियों पर मुकद्दमे चलाने की अनुमति भी वैटिकन को दे दी है जिसे वैटिकन में भ्रष्टाचार समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
पिछले 8 वर्षों में पोप फ्रांसिस द्वारा वैटिकन के कामकाज में किए जा रहे सुधारों में यह नवीनतम है। पोप फ्रांसिस के इस आदेश का पालन करने से पादरियों पर लगने वाले भ्रष्टïाचार के आरोपों पर रोक और चर्च की प्रतिष्ठा बढ़ाने में अवश्य सहायता मिलेगी।—विजय कुमार
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‘पोप फ्रांसिस का’ वैटिकन में ‘एक और सुधारवादी कदम’ (पंजाब केसरी)
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