तमाल बंद्योपाध्याय
वित्त वर्ष 2022 में एक को छोड़कर सभी बैंकों ने मुनाफा कमाया था। सूचीबद्ध बैंकों का संयुक्त शुद्ध लाभ पिछले वित्त वर्ष में 1.57 लाख करोड़ रुपये था जो पिछले वित्त वर्ष के अपने उच्चतम स्तर पर था। कई लोगों का मानना था कि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही का रुझान कुछ अलग होगा क्योंकि ट्रेजरी घाटा ज्यादातर बैंकों के मुनाफे को खत्म कर देगा और कुछ को बड़ा नुकसान हो सकता है।
हालांकि जून तिमाही में 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल 61 आधार अंक तक बढ़कर 31 मार्च के 6.84 प्रतिशत से 7.45 प्रतिशत हो गया। तिमाही के दौरान एक वक्त पर यह वृद्धि 80 आधार अंक तक थी। बॉन्ड की कीमतें और प्रतिफल विपरीत दिशाओं में दिखते हैं। जब प्रतिफल बढ़ता है और कीमतें गिरती हैं, तब बैंकों को उन प्रतिभूतियों के लिए मौजूदा बाजार कीमत के हिसाब से (मार्क-टू-मार्केट या एमटीएम) घाटा उठाना पड़ता जिन्हें कथित रूप से डेट प्रतिभूतियों या बॉन्ड के दायरे में नहीं रखा जाता है। एमटीएम गणना करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी परिसंपत्ति का मूल्य बाजार मूल्य पर तय किया जाता है, न कि उस कीमत पर जिस कीमत पर इसे खरीदा जाता है।
ऐसे में जब कीमतें कम होती हैं तब बॉन्ड के खरीद मूल्य और बाजार मूल्य के बीच के अंतर की भरपाई बैंकों को करनी पड़ती है। ट्रेजरी घाटे या ट्रेजरी आमदनी में कमी के बावजूद, सूचीबद्ध बैंकों का सामूहिक शुद्ध लाभ जून तिमाही में 43,472 करोड़ रुपये था जो एक साल पहले की तिमाही की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक था। मार्च तिमाही के मुकाबले जून में उद्योग का शुद्ध लाभ 9.87 प्रतिशत कम हुआ है।
धनलक्ष्मी बैंक को छोड़कर, निजी बैंकों में सभी सूचीबद्ध बैंकों ने जून तिमाही में शुद्ध लाभ दर्ज किया है और यह पिछले साल की तिमाही की तुलना में सभी बैंकों में अधिक रहा है। त्रिशूर के निजी क्षेत्र के एक बैंक ने पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान 6.8 करोड़ रुपये के शुद्ध लाभ के मुकाबले 26.4 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और आरबीएल बैंक दोनों ने एक साल पहले की तिमाही में भारी घाटे के मुकाबले मुनाफा कमाया है। हालांकि क्रमिक आधार पर कम से कम 9 बैंकों के शुद्ध मुनाफे में कमी आई है।
निजी बैंकों में एचडीएफसी बैंक ने सबसे अधिक ( 9,195.99 करोड़ रुपये) मुनाफा दर्ज किया जबकि इसके बाद आईसीआईसीआई बैंक (6,904.94 करोड़ रुपये) और ऐक्सिस बैंक ( 4,125.26 करोड़ रुपये) का स्थान था। जून तिमाही में सभी सरकारी बैंकों (पीएसबी) ने मुनाफा कमाया है। इनमें से तीन ने एक साल पहले की तिमाही के मुकाबले कम मुनाफा दर्ज किया है। इनमें पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ इंडिया और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) शामिल हैं। हालांकि तिमाही आधार पर 12 में से छह सरकारी बैंकों के शुद्ध मुनाफे में गिरावट दर्ज की गई है। इस समूह में, एसबीआई ने अधिकतम लाभ (6,068.08 करोड़ रुपये) दर्ज किया और इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा (2,168.13 करोड़ रुपये) और केनरा बैंक ( 2,022.03 करोड़ रुपये) का स्थान है।
सालाना आधार पर निजी बैंकों का शुद्ध लाभ 54.86 प्रतिशत बढ़ा है जबकि सरकारी बैंकों के मुनाफे में महज 9.24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। क्रमिक आधार पर निजी बैंकों का शुद्ध मुनाफा 7.86 प्रतिशत घटा है जो सरकारी बैंकों के 9.87 प्रतिशत से कम है।
कुछ को छोड़कर, सालाना आधार पर और क्रमिक रूप से अधिकांश बैंकों की शुद्ध ब्याज आमदनी या जमाओं पर खर्च और ऋण आमदनी में अंतर बढ़ा है। ऋण में वृद्धि और बढ़ती ऋण दरों की वजह से उद्योग की शुद्ध ब्याज आमदनी जून तिमाही में 14.3 प्रतिशत बढ़कर 1.46 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2022 के जून में 1.28 लाख करोड़ रुपये थी। मार्च 2022 में यह 1.42 लाख करोड़ रुपये थी।
हालांकि, अन्य आमदनी में तेज गिरावट आई है जिसमें विभिन्न शुल्कों से मिलने वाली आमदनी और ट्रेजरी मुनाफा शामिल है। जून तिमाही में सूचीबद्ध बैंकों की अन्य आमदनी 41,104 करोड़ रुपये रही जो वित्त वर्ष 2022 के जून महीने में 57,413 करोड़ रुपये और मार्च 2022 में 57,316 करोड़ रुपये थी।
निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों को अधिक ट्रेजरी घाटा हुआ है। इसी का नतीजा है कि उनकी अन्य आमदनी में सालाना आधार पर 45 फीसदी और तिमाही दर तिमाही 40.4 फीसदी की कमी आई है। इसके विपरीत निजी बैंकों की अन्य आमदनी में सालाना आधार पर महज 4.4 फीसदी और तिमाही दर तिमाही आधार पर 14 फीसदी की गिरावट आई है।
कम से कम चार निजी बैंकों इंडसइंड बैंक , आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक (जेऐंडके बैंक) और सिटी यूनियन बैंक ने सालाना और तिमाही आधार पर अन्य आमदनी में वृद्धि दर्ज की है। सरकारी क्षेत्र के बैंकों में केनरा बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के साथ भी ऐसा ही हुआ। एसबीआई की अन्य आमदनी में सालाना और तिमाही आधार पर 80 प्रतिशत से अधिक और इंडियन ओवरसीज बैंक में 60 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। हालांकि भले ही कई बैंकों ने ट्रेजरी घाटा दर्ज किया है लेकिन उनके शुल्कों से होने वाली आमदनी ने घाटे को कवर किया है लेकिन दो सूचीबद्ध बैंकों के साथ ऐसा नहीं हुआ है। इनमें यूको बैंक और धनलक्ष्मी बैंक शामिल हैं। इस प्रक्रिया में उनकी अन्य आमदनी में घाटा हुआ है। ट्रेजरी घाटे और अन्य आमदनी में कमी के बावजूद, अधिकांश बैंकों ने बढ़ती शुद्ध ब्याज आमदनी और खराब ऋणों के प्रावधान में कमी के आधार पर अच्छा मुनाफा दर्ज किया है।
जून तिमाही में उनका प्रावधान 33,170 करोड़ रुपये था जो एक साल पहले की तिमाही की तुलना में 41.48 प्रतिशत कम और मार्च तिमाही की तुलना में 13 प्रतिशत से थोड़ा कम था। कर्णाटका बैंक के प्रावधान में सालाना और तिमाही आधार पर बढ़ोतरी हुई है वहीं धनलक्ष्मी बैंक के लिए इसमें सालाना आधार पर 130 फीसदी की बढ़त हुई है। सरकारी बैंकों में सेंट्रल बैंक और केनरा बैंक ने साल-दर-साल ज्यादा प्रावधान दिखाया है। ये बैंक अपवाद हैं।
जून तिमाही में सभी सूचीबद्ध बैंकों का कुल फंसा कर्ज 7.16 लाख करोड़ रुपये के दायरे में रहा, जो सालाना आधार पर 12.5 फीसदी और तिमाही आधार पर 1.35 फीसदी कम है। प्रावधान के बाद शुद्ध फंसा कर्ज 1.91 लाख करोड़ रुपये रहा है जो एक साल पहले की समान तिमाही की तुलना में 25 फीसदी कम है और मार्च तिमाही की तुलना में करीब 4 फीसदी कम है।
प्रतिशत के लिहाज से आईडीबीआई बैंक का कुल फंसा कर्ज सबसे अधिक (19.9 प्रतिशत) और इसके बाद येस बैंक (13.45 प्रतिशत), जेऐंडके बैंक (9.09 प्रतिशत), बंधन बैंक (7.25 प्रतिशत) और धनलक्ष्मी बैंक (6.35 प्रतिशत) का स्थान है। प्रावधान के बाद येस बैंक का शुद्ध फंसा कर्ज 4.17 प्रतिशत और जेऐंडके बैंक का 3.02 प्रतिशत रहा है वहीं आईडीबीआई बैंक का शुद्ध फंसा कर्ज 1.25 फीसदी रहा है। केवल चार सूचीबद्ध निजी बैंकों ने मार्च की तुलना में जून तिमाही में अधिक फंसा कर्ज दर्ज किया है। इनमें जेऐंडके बैंक (3.02 फीसदी), बंधन बैंक (1.92 फीसदी), एचडीएफसी बैंक (0.74 फीसदी) और इंडसइंड बैंक (0.67 फीसदी) शामिल हैं।
सरकारी बैंकों में सेंट्रल बैंक का कुल फंसा कर्ज सबसे अधिक 14.9 फीसदी है। इसके बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (10.22 फीसदी), बैंक ऑफ इंडिया (9.3 फीसदी) और इंडियन बैंक (8.13 फीसदी) का स्थान है। प्रावधान के बाद पीएनबी के पास सबसे अधिक शुद्ध फंसा कर्ज (4.28 प्रतिशत), उसके बाद सेंट्रल बैंक (3.93 प्रतिशत) और यूनियन बैंक (3.31 प्रतिशत) का स्थान है। सभी बैंकों ने कम फंसा कर्ज दर्ज किया।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पास सिर्फ 0.88 फीसदी और भारतीय स्टेट बैंक के पास शुद्ध 1 फीसदी फंसा कर्ज है। हालांकि ट्रेजरी घाटे ने कई बैंकों के मुनाफे को कम कर दिया है। लेकिन अच्छी बात है कि परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में लगातार सुधार हो रहा है और फंसी परिसंपत्तियों की तादाद कम हो रही है। नकदी में वृद्धि (14.5 फीसदी) के साथ फंसा कर्ज फीसदी के लिहाज से और कम होगा लेकिन अगर बैंक नतीजे के बारे में सोचे बिना ऋण बुकिंग का दायरा बढ़ाने की कोशिश करते हैं तब फंसे हुए कर्ज और बढ़ सकते हैं और फिर खेल खराब हो सकता है।
सौजन्य - बिजनेस स्टैंडर्ड।
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