रूस और यूक्रेन युद्ध जितना लंबा खिंचेगा, हालात उतने ही कठिन होने की आशंका है। उल्लेखनीय है कि हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले से पूरी दुनिया सहम गई थी। परमाणु हमले के दुष्परिणामों से पूरी दुनिया परिचित हो चुकी है।
हर रात की एक सुबह होती है, लेकिन कोई नहीं जानता कि रूस और यूक्रेन के बीच १६ महीने से जारी युद्ध की सुबह कब होगी? मंगलवार को रूस की राजधानी मास्को पर ड्रोन से हुए हमले के जवाब में यूक्रेन पर भी मिसाइलों की बौछार की गई। रूस ने ड्रोन हमले को आतंकी कार्रवाई करार देते हुए यूक्रेन पर गंभीर आरोप लगाए। इससे पहले मई की शुरुआत में भी रूस पर बड़ा हमला हुआ था।
यहां सवाल जीत-हार का नहीं है। सवाल यह भी नहीं है कि दुनिया में शक्तिशाली कहे जाने वाले रूस से भी आखिर गलती कहां हुई? सवाल यह भी नहीं है कि यूक्रेन को पर्दे के पीछे से कौन मदद दे रहा है? सवाल तो यह है कि दो देशों की लड़ाई रोकने के लिए दूसरे देश क्या कर रहे हैं? संयुक्त राष्ट्र अपनी भूमिका निभाने मेें विफल क्यों हो रहा है? संयुक्त राष्ट्र का काम क्या सिर्फ सेमिनार और गोष्ठियां करना भर ही रह गया है? इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि तीन दशक बाद एक बार फिर दुनिया गंभीर तनाव के दौर से गुजर रही है। ताइवान को लेकर अमरीका और चीन के बीच ठनी हुई है, तो सीरिया गृहयुद्ध की आग से नहीं उबर पा रहा। ईरान और इजरायल में भी संघर्ष छिडऩे के आसार हैं, तो सूडान और पाकिस्तान में आंतरिक तनाव बढ़ता जा रहा है। लेकिन इसे रोकने के कारगर प्रयास होते नहीं दिख रहे। हर देश प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसी न किसी खेमे से जुड़ा साफ नजर आ रहा है। यह स्थिति किसी एक देश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत से पहले भी इसी तरह के हालात बने थे। दुनिया महंगाई और बेरोजगारी के विषम दौर से गुजर रही है। कोरोना महामारी के बाद अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे तमाम देशों को ऐसे ही हालात परेशान कर रहे हैं।
रूस और यूक्रेन युद्ध जितना लंबा खिंचेगा, हालात उतने ही कठिन होने की आशंका है। उल्लेखनीय है कि हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले से पूरी दुनिया सहम गई थी। परमाणु हमले के दुष्परिणामों से पूरी दुनिया परिचित हो चुकी है। इसलिए कोई भी देश नहीं चाहेगा कि रूस-यूक्रेन युद्ध परमाणु हथियारों के इस्तेमाल तक पहुंच जाए। इसके बावजूद रूस के तेवरों को देखते हुए युद्ध में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर आशंका बनी हुई है। ऐसी नौबत नहीं आने से पहले ही इस युद्ध को समाप्त करवाना सभी देशों की जिम्मेदारी है। यह पूरी दुनिया के हित में होगा।
सौजन्य - पत्रिका।
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